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Netflix को भारत सरकार ने लताड़ा “”आओ जरा हवेली पर” – भारत में लग सकता है बैन !!

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Netflix की Series IC814 Kandhar Hijack पर विवाद रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. पहले तो 5 में से 2 अपहरणकर्ताओं की मुस्लिम पहचान को छुपाकर उन्हें हिन्दू भगवान के नाम “भोला” और “शंकर” दिखाया गया जबकि बाकी अपहरणकर्ताओं क़े कोड नाम थे ‘बर्गर”, “डॉक्टर” और “चीफ”. अब जिन लोगों ने भी इस सीरीज को देखा उन्हें बहुत गुस्सा आया की आखिर कैसे Creative Liberty क़े नाम पर, आधा अधूरा सच परोसा जा रहा है.

 

  • सरकार के आगे झुकी Netflix, पर कहानी अभी बाकी थी …..

जब बवाल कुछ ज़्यादा ही हो गया तो भारत के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने Netflix India को नोटिस भेज दिया कि “आओ ज़रा हवेली पे”. इसके बाद नेटफ्लिक्स ने यह तर्क दिया कि इसमें उनकी तो कोई गलती ही नहीं है. अपहरणकर्ता खुद एक दूसरे को इन्हीं कोड नाम से बुलाते थे. तब सूचना प्रसारण मंत्रालय ने Netflix को फटकार लगाते हुए कहा की इस तथ्य को आखिर Series में उजागर क्यों नहीं किया गया और साथ ही अपहरणकर्ताओं क़े असली नाम कहीं पर भी क्यों नहीं दिखाए गए. भारत सरकार के साथ इस बैठक का यह नतीजा निकला की नेटफ्लिक्स, Series IC814 की शुरुआत में एक disclaimer देगी जिसमें अपहरणकर्ताओं के असली नाम और कोड, दोनों ही दिखाए जायेंगे . नेटफ्लिक्स ने इस फैसले पर अमल भी किया और सीरीज की शुरआत में Disclaimer भी डाल दिया. जिसमें अपहरणकर्ताओं क़े असली नाम भी दिखाए गए. पर कहानी अभी बाकी थी …..

  • Netflix की करतूत ” कपडे ऐसे पहनो की दिखे ज्यादा और छुपे कम”

कहानी में अभी भी एक झोल है और वो झोल यह है कि Netflix यह disclaimer सिर्फ India में दिखा रहा है. यानी भारत के अलावा पुरे विशव में जो भो इस सीरीज को देखेगा उन्हें सच्चाई पता ही नहीं चलेगी और इतिहास के पन्नो में यह दर्ज़ हो जायेगा की Kandhar Hijack में हिन्दू भी शामिल थे. अब इसी बात को लेकर एक बार फिर से बवाल हो रहा है आखिर सच्चाई को तोड़ मरोड़ कर क्यों पेश किया जा रहा है. अब देखना यह होगा की क्या Netflix अपनी इस गलती को सुधारेगा या सूचना प्रसारण मंत्रालय को कोई कड़ा रुख अपनाना पड़ेगा.

netflix ic814

  • कहानी IC814 की, एक ऐसा सच जिसमे अटल और सोनिया गाँधी आये साथ :

24 दिसंबर 1999 में फ्लाइट IC-814 ने नेपाल क़े काठमांडू से उड़ान भरी थी और उड़ने क़े आधे घंटे बाद ही उसको हाईजैक कर लिया गया था. उस फ्लाइट में कुल 176 लोग थे. अपहरणकर्ताओं ने फ्लाइट को पहले अमृतसर रोका क्यूंकि फ्लाइट में इतना ईंधन नहीं था की उसको उड़ाकर कहीं और ले जाया का सके. लेकिन अमृतसर में फ्लाइट में ईंधन नहीं भरा जा सका क्यूंकि अपहरणकर्ताओं ने फ्लाइट इंजन बंद करने से इंकार कर दिया था. इसलिए फ्लाइट को पहले लाहौर ले जाया गया लेकिन वहां भी बात नहीं बनी. जिसके बाद दुबई में फ्लाइट में ईंधन भरा गया और अपहरणकर्ताओं ने दुबई में 27 लोगों को रिहा भी किया जिसमें औरतें और बच्चे शामिल थे. फिर 25 दिसंबर, 1999 को सुबह विमान ने दुबई से उड़ान भरी और अफगानिस्तान के कंधार हवाई अड्डे पर जा उतरा.

  • भारत सरकार ने अपनी भूल सुधार ली होती, तो बच जाती देश की इज्जत.

कंधार पहुंचने क़े बाद अपहरणकर्ताओं ने 176 लोगों की रिहाई क़े बदले भारत सरकार से 200 मिलियन डॉलर्स क़े साथ साथ भारतीय जेलों में बंद 36 आंतकवादियों की छोड़ने की मांग रखी थी. सरकार और आतंकवादियों क़े बीच 8 दिन तक बातचीत चलती रही और अंत में अपने देश क़े नागरिकों को बचाने क़े लिए बाजपेयी सरकार विपक्ष की रज़ामंदी क़े साथ आतंकवादी मसूद अजहर, मुश्ताक जरगर और उमर शेख को रिहा करने को राज़ी हो गई. अपहरणकर्ताओं की मांगों को लेकर अफ़ग़ानिस्तान ने उस समय एक विशेष भूमिका निभाई थी. अपहरणकर्ताओं की मांगें पूरी होने क़े बाद 31 दिसंबर 1999 की शाम को बंधक बनाए गए यात्री और क्रू दल के सदस्य उसी शाम दो विशेष विमानों से दिल्ली पहुंच गए। हालाँकि छोड़े गए आतंकवादियों ने बाद में भारत को कई ज़ख़्म दिए जैसे संसद पर हमला, 26/11 Mumbai attack आदि.लेकिन उस वक़्त समय की मांग यह थी कि अपने देश कि नागरिकों को बचाया जाये. पर इतना जरूर है की उस वक़्त की सरकार यकीनन बहुत ही कमजोर थी, तभी तो वे उन आतंकियों को ढूंढ कर मार ना सके, वो भी तब, जब हमें उनका पता मालुम था.

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